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Description : 31मई 2024/ प्रज्ञान पब्लिक स्कूल जेवर में 25 मई से 01 जून तक चल रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास पण्डित दामोदर प्रसाद शर्मा जी के मुखारविंद द्वारा भगवान के विवाहों के दिव्य प्रसंग, सुदामा चरित्र, भगवान श्री कृष्ण जी का अन्तिम उपदेश, सुखदेव जी की विदाई, राजा परीक्षित मोक्ष, जनमेजय-यज्ञ, आदि की दिव्य कथाएँ श्रवण करायीं गयीं। कथा व्यास पण्डित दामोदर प्रसाद शर्मा जी ने श्रीकृष्ण के द्वारा माता देवकी के छह पुत्रों को वापस लाने की कथा, भगवान के विवाहों के दिव्य प्रसंगों सहित श्रीकृष्ण सुदामा मिलन की कथा के माध्यम से भक्तों को भाव-विह्वल कर दिया। पत्नि के बार-बार आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुँचे सुदामा ने द्वारपालों को अपना नाम बताया एवं श्रीकृष्ण से मिलने की इच्छा प्रकट की।द्वारपाल के मुख से सुदामा का नाम सुनते ही प्रभु सुदामा- सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। परीक्षित-मोक्ष प्रसंग में कथा व्यास ने बताया कि शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया।तक्षक नाग के डसने से पहले ही वे मोक्ष को प्राप्त हो गए। कथा व्यास पण्डित दामोदर प्रसाद शर्मा ने कथा के अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण जी का अन्तिम उपदेश, सुखदेव जी की विदाई, राजा परीक्षित मोक्ष, जनमेजय-यज्ञ, आदि की दिव्य कथाएँ सुनाते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत पुराण को भगवान कृष्ण का साहित्यिक अवतार माना जाता है. श्रीमद् भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति भक्ति गहरी होती है. श्रीमद् भागवत कथा स्वयं की प्रकृति और परम वास्तविकता के बारे में सिखाती है। उन्होंने बताया कि भागवत कथा सुनने से मनुष्य को उसकी सभी शंकाओं का समाधान मिलता है। उन्होंने कहा कि निरंतर ही भगवान की पूजा कर और उनकी भक्ति करनी चाहिए और अपने जीवन कल में एक बार अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। कथा के समापन पर महाआरती की गयी तथा प्रसाद वितरण किया गया।